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Showing posts from March, 2017

गढवाली WhatsApp जोक्स आदि के शौकीनों के लिये रैबार | Message for Garhwali WhatsApp Joke's Lovers

Garhwali Whatsapp Jokes देवभूमि दर्शन पेश करतेंं हैं गढवाली WhatsApp जिसके माध्यम से आप गढवाली जोक्स, शायरी, आदि मजेदार सामग्री का आनंद लें सकतें हैं। आप हमें गढवाली भाषा में अपने WhatsApp संदेश भी भेज सकतें हैं। संदेश के माध्यम से आप हमें निम्नलिखित प्रकार की सामग्री भेज सकतें हैं: जोक्स | Joke's शायरी | Shayari Funny पिक्चर (ग़ढवाल से सम्बंधित) | Funny Picture's संदेश (उत्तराखण्ड से सम्बंधित) | Message's वीडियोज आदि | Videos and etc. नोट: मैसेज भेजते समय अपना नाम व गाँव का नाम जरूर भेजें।  *मैसेज भेजने हेतु सम्पर्क सूत्र में जाकर किसी भी एक माध्यम को चुनिये और संदेश भेजें

गढवाली जोक in शायरी Style | Garhwali Shayari Joke

Joke's in Garhwali Shayari  एक नौनि पाणी का पंदेरा मा दिख ग्याई, तैंकी तस्वीर मेरा दिल मा छपी ग्याई।  जब तक मि अपणी दिल की बात तेंं मा बतौंदू, माँ कसम तबारी तैन बोली: भैजी तुमारू भाण्डू भरै ग्याई॥

लूंगा स्पेशल जोक्स । The Loonga Specical Joke's

लूंगा मास्टर जी पार्ट 1 Garhwali WhatsApp Joke's मास्टर जी (लूंगा से): बेटा उत्तराखण्ड मा कति बांध छन? लूंगा : गुरजी 4। मास्टर जी : चार कु। लूंगा : ता.... छकना बांद  फुर्की बांद  माया बांद सिल्की बांद

Garhwali WhatsApp Joke's | गढवाली व्हाट्सएप्प जोक्स

गढवाली जोक्स |Garhwali Jokes | Garhwali WhatsApp Jokes UP की महिला ने गढ़वाली महिला से पूछा -  क्या हो रहा है बहन जी। गढवाली महिला -  क्या होना बहन जी,  न गरम पच रहा है न ठंड पच रहा है,  सुदी मुदी घाम में कपाल तच रहा है। 

प्रागैतिहासिक काल | Prehistoric Time | History 1 A

उत्तराखण्ड के विभिन्न स्थलों से प्राप्त होने वाले पाषाणोपकरण, गुफा, शैल-चित्र, कंकाल मृदभाण्ड तथा धातु-उपकरण प्रागैतिहासिक काल में मानव निवास की पुष्टि करते हैं। इस काल के प्रमुख साक्ष्य निम्न प्रकार से हैं‌: लाखु गुफा: 1963 में खोजे गए लाखु उड्यार जो कि अल्मोड़ा के बाड़ेछीना के पास दलबैंड पर स्थित हैं, से मानव व पशुओं के चित्र प्राप्त हुए हैं। मानव आकृतियोंं को अकेला या समूह में नृत्य कहते दिखाया गया हैं। विभिन्न पशु-पक्षियों का भी चित्रण किया गया हैं। इसके अलावा, चित्रों को रंगोंं से भी सजाया गया हैं।  

गढवाली-कुमाऊनी कवियों के लिए रैबार । Message for Garhwali-Kumaoni Poets

आप सभी गढवाली व कुमाऊनी भाषाओं के प्रेमियों को हमारा नमष्कार। यदि आप गढवाली या कुमाऊनी भाषाओं में कविताएँ, चुटकुलें आदि लिखनेंं में रुचि रखतें हैं परंतु आपके द्वारा लिखी गयी कविताओं को उचित मार्गदर्शन अथवा मूल्य नहीं मिल पाता तो हम आपका अभिनंदन करतें हैं।  आप अपनी लिखी गयी कविता अथवा चुटकुलों आदि को हमें फेसबुक पेज के माध्यम से या ई-मेल द्वारा भेज सकतें हैं। आपकी द्वारा लिखी गयी कविताओं को हम ब्लोग व फेसबुक पेज के माध्यम से उत्तराखण्ड की जनता के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। 

देवभूमि General Knowledge । हमारे उद्देश्य । Our aims

उत्तराखंड में आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं की योजनाबद्ध तैयारी हेतु प्रस्तुत, । देवभूमि General Knowledge । सुदृढ आधार तैयार करता हैं।  नवीनतम तथ्यों, आँकड़ोंं एवं पाठ्यक्रम (Syllabus) पर आधारित। ब्लोग में स्पष्ट व उच्च गुणवत्ता युक्त अध्ययन सामग्री विभिन्न श्रोतों से प्रस्तुत की गयी हैं। विगत वर्षोंं में आयोजित परीक्षाओं में पूछें गए प्रश्नपत्र व उनके उत्तर। परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करनेंं हेतु टिप्स। विभिन्न तथ्यों से जुड़े सवालोंं के जवाब विस्तृत रूप में। महत्वपूर्ण परश्नो को विशेषता। उत्तराखंड विषयवस्तु: इतिहास । History भूगोल । Geography  कृषि । Agriculture नदिया । Rivers तीर्थ व तीर्थ स्थल । Religious Places प्रमुख तिथिया । Important Dates प्रमुख आंदोलन । Important Movements विज्ञान व तकनीकी । Science & Technology पशुधन । Livestock विविध । Miscellaneous  व्यक्ति परिचय प्रश्न पत्र उत्तर सहित: उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग । Uttarakhand Public Service Commission उत्तराखण्ड पोलिटेक्निक । Uttarakhand Polytechnic Entrance Exams उत्तराखण्ड आइ.टी.आइ. ।

कोटद्वार । Kotdwara

कण्वाश्रम कण्वाश्रम मालिनी नदी के किनारे स्थित है। कोटद्वार से इस स्‍थान की दूरी 14 किलोमीटर है। यहां स्थित कण्व ऋषि आश्रम बहुत ही महत्‍वपूर्ण एवं ऐतिहासिक जगह है। ऐसा माना जाता है कि सागा विश्‍वमित्रा ने यहां पर तपस्‍या की थी। भगवानों के देवता इंद्र उनकी तपस्‍या देखकर अत्‍यंत चिंतित होत गए और उन्‍होंने उनकी तपस्‍या भंग करने के लिए मेनका को भेजा। मेनका विश्‍वामित्र की तपस्‍या को भंग करने में सफल भी रही। इसके बाद मेनका ने कन्‍या के रूप में जन्‍म लिया और पुन: स्‍वर्ग आ गई। बाद में वहीं कन्‍या शकुन्‍तला के नाम से जाने जानी लगी। और उनका विवाह हस्तिनापुर के महाराजा से हो गया। शकुन्‍लता ने कुछ समय बाद एक पुत्र को जन्‍म दिया। जिसका नाम भारत रखा गया। भारत के राजा बनने के बाद ही हमारे देश का नाम  भारत ' रखा गया।

पौड़ी | Pauri

पौढ़ी गढ़वाल भारतीय राज्य  उत्तराखंड  का एक शहर है। यह  पौढ़ी गढ़वाल जिला  का मु़यालय है। पौढ़ी गढ़वाल जिला वृत्ताकार रूप में है। जिसमें  हरिद्वार ,  देहरादून ,  टिहरी गढ़वाल ,  रूद्वप्रयाग ,  चमोली ,  अल्‍मोड़ा  और  नैनीताल  सम्मिलित है। यहां स्थित  हिमालय , नदियां, जंगल और ऊंचे-ऊंचे शिखर यहां की खूबसूरती को अधिक बढ़ाते हैं। पौढ़ी समुद्र तल से लगभग 1814 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बर्फ से ढके हिमालय शिखर पौढ़ी की खूबसूरती को कहीं अधिक बढ़ाते हैं।

औली, चमोली - Auli Chamoli

औली उत्तराखण्ड का एक भाग है। यह 5-7 किलोमीटर में फैला छोटा सा स्की-रिसोर्ट है। इस रिसोर्ट को 9,500-10,500 फीट की ऊँचाई पर बनाया गया है। यहाँ बर्फ से ढकी चोटियाँ बहुत ही सुन्दर दिखाई देती हैं। इनकी ऊँचाई लगभग 23,000 फीट है। यहाँ पर देवदार के वृक्ष बहुतायत में पाए जाते हैं। इनकी महक यहाँ की ठंडी और ताजी हवाओं में महसूस की जा सकती है।

उत्तराखण्ड में शिक्षा

उत्तराखण्ड के शैक्षणिक संस्थान भारत और विश्वभर में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ये  एशिया  के सबसे कुछ सबसे पुराने अभियान्त्रिकी (Engineering) संस्थानों का गृहस्थान रहा है,